"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है ! इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण
कवियों, लेखकों का शुभ्रमंच:-विश्व को नौ रस समझा कर, प्रत्येक में मूर्धन्य महाकवियों से समृद्ध भारत में दिनकर के बाद, भांड और भाट, पूछे और पूजे जाने लगे, तब और दिनकर कहाँ से पैदा होंगे? समुन्द्र से गहरा, वासनामुक्त हो-साहित्य.तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र https://t.me/ydmstm - तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार, संपादक युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑 09971065525, 9911111611, 9911145678.
Tuesday, April 12, 2011
श्री राम नवमी की कोटि कोटि हिदू समाज सहित आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं.....
"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है ! इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण
Monday, April 4, 2011
नव संवत 2068 की शुभकामनाएं।
अंग्रेजी का नव वर्ष भले हो मनाया,
तदनुसार 4 अप्रैल 2011, इस धरा की 1955885112वीं वर्षगांठ तथा इसी दिन सृष्टि का शुभारंभ हुआ.आज के दिन का महात्य -
विश्व कप ने संकेत दिया है नव संवत भारत के लिए सुखद, मंगलकारी होगा ।
तिलक संपादक युगदर्पण. .
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"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है ! इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण
Monday, January 17, 2011
अमेरिका का सामुद्रिक सरकस-----------------विश्व मोहन तिवारी, पूर्व एयर वाइस मार्शल
नट के अदृश्य से इशारे पर
दो सौ किलो की डॉल्फिन
चार मीटर की ऊँचाई पर
आसमान में लटकी
छोटी सी लाल गेंद को
पैरों तले खिसकने वाले
पानी से उछलकर
सिर से उछाल देती है
चकित हम ताली बजाते हैं
इस बीच वह तुरंत
नट के पास पहुँच जाती है
खुश हो जाती है
एक छोटी मछली मिलने पर।
तीन सौ किलो का
गँवार-सा दिखने वाला सागर-सिंह
अपने छोटे-छोटे पंख-हाथों से
चढ़ जाता है सीढ़ियों से
तीन मीटर उँचे छलाँग-पट पर
देखता है हम सब की तरफ गर्व से
और पुष्कर में गोता मारता है
न छलकता है एक बूँद पानी
और न छप-सी आवाज
अचम्भित हम ताली बजाते हैं
इस बीच वह तुरंत
नट के पास जाता है
खुश हो जाता है
एक छोटी मछली मिलने पर
सात सौ किलो की कलसित हवेल
तरल जल से रॉकेट की तरह
पाँच मीटर उछलती है
और वह स्निग्धतम गोताखोर हवेल
जानबूझकर पानी में
फचाक से पट्ट गिरती है
उछालती है टनों पानी दस मीटर दूर तक
ठंडे पानी में भीगकर
हक्का बक्का
खुश हम ताली बजाते हैं
वह खुश हो जाती है
एक छोटी मछली मिलने पर
एक छोटी सी मछली में
कितनी ताकत है
सारे अमेरिका से
सारे संसार से
सरकस कराती रहती है
Thursday, December 2, 2010
खुदीराम बोस
Sunday, October 17, 2010
मानवता हितार्थ के निहितार्थ?
Saturday, September 11, 2010
आत्मग्लानी नहीं स्वगौरव का भाव जगाएं, विश्वगुरु
"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है !
इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण
Sunday, September 5, 2010
राष्ट्र मंडल खेल आयोजन और दिल्ली
"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है ! इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण