Friday, December 21, 2012

विश्वासघात का विष,

विश्वासघात का विष, The toxin of  Betrayal 

* यही सब 
देखना था, क्या  
भारत से 
इंडिया बन कर ? 
क्या इसी 
स्वछंदता का 
नाम है आज़ादी, 
या 
काले अंग्रेजों ने 
65 वर्ष में 
लिख दी 
सदाचार की बर्बादी ? 
* इंडिया की चमक दमक में 
मेरा भारत 
कहाँ पे खोया है ? 

शर्मनिरपेक्ष माली ने, 
चन्दन के मेरे 
नन्दनवन में, 
धोखे से 
नागफनी क्यों बोया है ? 
* वे 
मर्यादाएं हैं मिटा रहे, 
संसाधन सारे लुटा रहे, 
फिर भी 
क्यों ऑंखें बंद रखे, 
लाचार 
सभी हम लगते हैं ? 
* अब, प्रश्न उठा, 
आखिर कब तक...?, 
प्रश्न स्वयं से पूछो जी, 
जब चोर बनाये 
थानेदार, 
व्यवस्था है 
सारी ही बीमार, 
रक्त रंजित 
इस तन के आखिर, 
कितने घाव गिनाओगे ? 
* हर पल खाये हैं घाव सदा, 
पर हम  थके, 
तुम गिन गिन के थक जाओगे ! 
* यह घाव तो 
सह ही लेंगे हम, 
झूठे आश्वासन 
दे देकर; 
विश्वासघात 
फिर करके तुम, 
नए घाव दे जाओगे ! 
* गले सड़े फल 
लाने वाले की 
वाह वाह से क्या जाने; 
उपहास कहें या 
भ्रम का जाल 
इसे मानें ?
** विश्वासघात का विष 
अभी कितना और पिलाओगे ? 
अभी कितना और पिलाओगे ?
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण

Wednesday, December 19, 2012

क्यों, मित्रों ने भी भुला दिया ??

क्यों, मित्रों ने भी भुला दिया? Like, comment, share, tag 50 frnds
जब से 'फेक बुक, ने मेरे हाथ बांधे मित्रों ने भी भुला दिया,
किसी भी रचना पर टिप्पण Like, का अंकुश तो मुझ पर है, 
फिर आप ने भी टिप्पणी करने से, क्यों है मुँह ही चुरा लिया;
स्मरण हैं वह दिन, जब लेखन व टिप्पण का गर्म व्यवहार था, 
नवरात्रे दीपावली में वह खाता बंद हुआ मित्रों ने भी भुला दिया,
दीपावली में बना नया खाता, धडाधड भेजे नए खाते के सन्देश, 
फिर दीपावली के बधाई सन्देश को फेकबुक ने स्पैम का नाम दे,
कई अंकुश टिप्पण, सन्देश, FR, Tag, खाते पर हैं, लगा दिए, 
नए खाते में 2-4 पुराने, 8-10 मित्र नए जुडे व लेखन है जारी,
किन्तु अब किसी लेखन पर क्यों, नहीं आती टिप्पणी तुम्हारी??
भीड़ से दूर, सन्नाटे की व्यथा की यह कथा है कडवी (क्षमा करें), 
मुझे, नए भले न पहचाने क्यों, पुराने मित्रों ने भी भुला दिया ??
क्यों, मित्रों ने भी भुला दिया ??....तिलक
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण
http://thitholeedarpan.blogspot.in/2012/12/blog-post.html
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Saturday, November 10, 2012

सार्थक दीपावली सन्देश


सार्थक दीपावली सन्देश:సార్థక దీపావలీ సన్దేశ  ,  ஸார்தக தீபாவலீ ஸந்தேஸ ,  ಸಾರ್ಥಕ ದೀಪಾವಲೀ ಸನ್ದೇಶ ,  സാര്ഥക ദീപാവലീ സന്ദേശ ,সার্থক দীপাবলী সন্দেশ,

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युगदर्पण का सार्थक दीपावली सन्देश: सार्थक दिपावली का अर्थ ? 
सार्थक दीपावली सन्देश...Pl. Like it, join it, share it. Tag 50 
युगदर्पण का सार्थक दीपावली सन्देश: सार्थक दिपावली का अर्थ ? 
दशहरा यदि सत्य का असत्य पर विजय का प्रतीक है, तो दीपावली प्रकाश का अन्धकार पर। आइयें, इस के लिये संकल्प लें: भ्रम के जाल को तोड़, अज्ञान के अंधकार को मिटा कर, ज्ञान का प्रकाश फेलाएं। आइये, शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।। 
यह दीपावली भारतीय जीवन से आतंकवाद, अवसरवाद, महंगाई, भ्रष्टाचार आदि की अमावस में, सत्य का दीपक जला कर धर्म व सत्य का प्रकाश फैलाये तथा भारत को सोने की चिड़िया का खोया वैभव, पुन:प्राप्त हो! अखिल विश्व में फैले सम्पूर्ण हिन्दू समाज के आप सभी को सपरिवार, युगदर्पण परिवार की ओर से दीपावली की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं। 
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है -इस देश को लुटने से बचाने तथा बिकाऊ मेकालेवादी, मीडिया का एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प -राष्ट्र वादी मीडिया |अँधेरे के साम्राज्य से बाहर का एक मार्ग...remain connected to -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 ... yugdarpan.com

दशहरा यदि सत्य का असत्य पर विजय का प्रतीक है, तो दीपावली प्रकाश का अन्धकार पर। आइयें, इस के लिये संकल्प लें: भ्रम के जाल को तोड़, अज्ञान के अंधकार को मिटा कर, ज्ञान का प्रकाश फेलाएं। आइये, शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।
यह दीपावली भारतीय जीवन से आतंकवाद, अवसरवाद, महंगाई, भ्रष्टाचार आदि की अमावस में, सत्य का दीपक जला कर धर्म व सत्य का प्रकाश फैलाये तथा भारत को सोने की चिड़िया का खोया वैभव, पुन:प्राप्त हो! अखिल विश्व में फैले सम्पूर्ण हिन्दू समाज के आप सभी को सपरिवार, युगदर्पण परिवार की ओर से दीपावली की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं।
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है -इस देश को लुटने से बचाने तथा बिकाऊ मेकालेवादी, मीडिया का एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प -राष्ट्र वादी मीडिया |अँधेरे के साम्राज्य से बाहर का एक मार्ग...remain connected to -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 ... yugdarpan.com
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण

Tuesday, November 6, 2012

युगदर्पण के 50 हजारी होने पर

युगदर्पण के 50 हजारी होने पर आप सभी को हार्दिक बधाई व धन्यवाद। युग दर्पण ब्लाग पर बने, हमारे ब्लाग को 49 देशों के 3640, तथा राष्ट्र दर्पण पर 33 देशों के 1693, आप लोगों ने 4 नव.11 प्रथम 1 1/2 वर्षों में 10 हज़ार बार खोला व हमें 10 हजारी बनाया था। अब 4 नव.12 तक केवल एक वर्ष में, 63 देशों के 6360, तथा 51 देशों के 4100+ आप लोगों ने हमें 50 हजारी कर दिया है। आप सभी केवल हार्दिक बधाई व धन्यवाद के पात्र नहीं, हमआपका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 ... yugdarpan.com
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण

Saturday, October 13, 2012

हम इतने नहीं महान हैं ?....

हम इतने नहीं महान हैं ?....

किसी कवि ने लिखा, आश्चर्य चकित रह गया 
सहस्त्रों ऋषि मुनियों सा, इन्सान ये कह गया ?
अब तो मजहब कोई, ऐसा भी चलाया जाए ,
जिसमें इनसान को, इनसान बनाया जाए !!
इसे देखके मन ये बोला, कुछ ऐसा लिखा जाये 
तम के गम को मिटा के निज उजियारा फैलाये 

नकली आभूषण असली से बढ़के बिक जाते हैं 
इसे देख के हम, नकली के लोभी बनते जाते हैं 
असली हीरा खोने पर, कोई नकली नहीं बनवाता 
धरती अम्बर एक किया तो खोज उसी को लाता 

भारत का है सत्य खो गया, उसे खोज कर लाना 
छद्म रचे से मूल है उत्तम, व भारतवंशी कहलाना 
श्रेष्ठ था जो भी था अपना, अब रह गया है सपना 
नालंदा तक्षशिला जला कर, मिटा जो था अपना 

अब नकली को पढ़ना होता, नकली राह दिखाता 
न असली खाने को ही है, नकली सब होता जाता 
कोई देवी देवता नहीं  हम , न ही कोई भगवान हैं 
सत्य की राह पर चलते हुए , बस इक , इन्सान हैं 

सीधे सादे सच्चे रह सकें, बस इतना ही तो ज्ञान है 
धार्मिक हैं, किन्तु नया धर्म रचें ? न ऐसे महान हैं 
धार्मिक हैं, किन्तु नया धर्म रचें ? न ऐसे महान हैं 
हम इतने नहीं महान हैं ....
तिलक संपादक युग दर्पण मीडिया समूह 9911111611,
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण

Tuesday, September 4, 2012

"मेरा देश इंडिया"

"मेरा देश इंडिया"....- तिलक
कई दिन से सोचता था भारत का अमन चैन जाने कहाँ खो गया है!
वसुधैव कुतुम्कम का प्रणेता भाईचारा था इसे कौन खा गया है!
बटोर ज्ञान, लगाया ध्यान, तब जाना जब कर डाले सब अनुसन्धान!
जब से कथित आज़ादी के साथ भारत देश का बंटवारा हो गया है!
भारत को मिटा कर बना डाले एक हिंदुस्तान व दूजा पाकिस्तान!
पहले भारत नहीं रहने दिया अब न रहा हिंदुस्तान या पाकिस्तान!
पाकिस्तान को वहां की सरकार ने नापाक कर डाला!
यहाँ भी शर्मनिरपेक्षों ने स्वयं हिन्दुओं को मिटा डाला!
उनका वो देश अतंकिया है तो मेरा ये देश भी इंडिया है!
धर्मनिरपेक्षता के नाम, निज गौरव भूला यह इंडिया है!
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है !
 इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण

जीवन जीने का अर्थ ...

जीवन जीने का अर्थ ...- तिलक
स्वांस लेना ही, कोई जीवन नहीं; यदि अर्थ जीने का, समझ आता नहीं

जीवन है, एक तालाब; जब तक बाहरी विश्व से, परिचित नहीं है आप
जीवन
है, एक नदी; समय की धारा पहचान कर, तैरना जानते नहीं यदि
जीवन है, एक धारा; यदि लक्ष्य से भटकना, किसी भी कारण हो, स्वीकारा
जीवन एक, सागर है;
जब ह्रदय आपका, वसुधैव कुटुम्बकम की गागर है
जीवन तब, महासागर है;
यदि लक्ष्य की सफलता के, बने आप पारंगत हैं
जीवन उनका, सुंदर है; राष्ट्र हित जीने का साहस, जिनके मन अंतर में है

"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है !
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण