
कवियों, लेखकों का शुभ्रमंच:-विश्व को नौ रस समझा कर, प्रत्येक में मूर्धन्य महाकवियों से समृद्ध भारत में दिनकर के बाद, भांड और भाट, पूछे और पूजे जाने लगे, तब और दिनकर कहाँ से पैदा होंगे? समुन्द्र से गहरा, वासनामुक्त हो-साहित्य.तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र https://t.me/ydmstm - तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार, संपादक युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑 09971065525, 9911111611, 9911145678.
Monday, March 14, 2022
काश्मीरी पंडितों की 33 वर्ष पूर्व की पीड़ा, The Kashmir Files.
The Kashmir Files | Official Trailer I Anupam I Mithun I Darshan I Pallavi I Vivek I 11 March 2022
*👉🌟1/49, शर्मनिरपेक्ष संविधान व शोधन:👈*
*▶DD-Live YDMS👑 दूरदर्पण*
*युदस नदि 14 मार्च 2022:* काश्मीरी पंडितों की 33 वर्ष पूर्व की पीड़ा, जिसे कांग्रेस ने बोया, सींचा और पाला पोसा। जिसे देखकर, उस पीड़ा को हर मानव अनुभव करेगा। t.me/ydmsjhj
The Kashmir Files | Official Trailer I Anupam I Mithun I Darshan I Pallavi I Vivek I 11 March 2022.
A must seen film based on real stories about tragedy of Kashmiri pandit faced about 33 year back.
-तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार
संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS👑
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"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण
Friday, August 20, 2021
सोमनाथ मंदिर में विविध परियोजनाएं
सोमनाथ मंदिर में विविध परियोजनाएं
PL-1/51, गुजरात प्रदेश 👑दर्पण YDMS,
*▶CD-Live YDMS👑 चयनदर्पण*
*युदस नदि/गुज अग 21:* प्रमं मोदी ने सोमनाथ मंदिर में विविध परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया। भारत के ऐसे किसी भी प्रदेश के अधीकृत मूल समाचारों हेतु यूट्यूब पर इस चैनल *▶CD-Live YDMS👑 चयनदर्पण* में सब्सक्राइब करें, स्वागत है। और प्रादेशिक प्ले सूची में देखें मूल प्रसारण।
तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार,
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Sunday, September 20, 2015
मत कह दिजो मन की पगले, -शब्द मसीहा की कविता
मत कह दीजो मन की पगले,
यहाँ कौन समझने वाला है।

मत कह दीजो मन की पगले,
यहाँ कौन समझने वाला है
चमके-चमके सब चेहरे हैं, भीतर में बहुत कुछ काला है।
रख भाव ह्रदय में रो लीजो रख लीजो बंद कपाट मन के
मत रखियो चाह कभी मन की यहाँ कौन समझने वाला है।
मत कह दिजो मन की पगले, यहाँ कौन समझने वाला है
रख भाव ह्रदय में रो लीजो रख लीजो बंद कपाट मन के
मत रखियो चाह कभी मन की यहाँ कौन समझने वाला है।
मत कह दिजो मन की पगले, यहाँ कौन समझने वाला है
चमके-चमके सब चेहरे हैं, भीतर में बहुत कुछ काला है
कहाँ ज्ञान बघार रहा पगले यहाँ सभी लोग ज्ञानी ठहरे
हंसकर भी क़त्ल ये कर देंगे कोई रहम न खाने वाला है।
मत कह दिजो मन की पगले, यहाँ कौन समझने वाला है
कहाँ ज्ञान बघार रहा पगले यहाँ सभी लोग ज्ञानी ठहरे
हंसकर भी क़त्ल ये कर देंगे कोई रहम न खाने वाला है।
मत कह दिजो मन की पगले, यहाँ कौन समझने वाला है
चमके-चमके सब चेहरे हैं, भीतर में बहुत कुछ काला है
सब चढ़ते सूर्य को नमन करें अस्ताचल सूर्य नहीं भाता
ये मन डूबा -डूबा जाता है यहाँ कौन उबारने वाला है।
सब चढ़ते सूर्य को नमन करें अस्ताचल सूर्य नहीं भाता
ये मन डूबा -डूबा जाता है यहाँ कौन उबारने वाला है।
मत कह दिजो मन की पगले, यहाँ कौन समझने वाला है
चमके-चमके सब चेहरे हैं, भीतर में बहुत कुछ काला है
मत रखियो माँग कभी इनसेइन्कार ही सदा तू पायेगा
सीने की जलन तेरी पगले यहाँ कौन बुझाने वाला है।
मत कह दिजो मन की पगले, यहाँ कौन समझने वाला है
मत रखियो माँग कभी इनसेइन्कार ही सदा तू पायेगा
सीने की जलन तेरी पगले यहाँ कौन बुझाने वाला है।
मत कह दिजो मन की पगले, यहाँ कौन समझने वाला है
चमके-चमके सब चेहरे हैं, भीतर में बहुत कुछ काला है
अपने लब (होंठ) सी कर रख लीजो मन की मन में रखियो आस
सब ही प्यास बढाकर जायेंगे न कोई प्यास मिटाने वाला है।
मत कह दिजो मन की पगले, यहाँ कौन समझने वाला है
अपने लब (होंठ) सी कर रख लीजो मन की मन में रखियो आस
सब ही प्यास बढाकर जायेंगे न कोई प्यास मिटाने वाला है।
मत कह दिजो मन की पगले, यहाँ कौन समझने वाला है
चमके-चमके सब चेहरे हैं, भीतर में बहुत कुछ काला है
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" -युगदर्पण
पत्थर, मानव और कर्म फल
आज़ाद कलम काव्य का प्रारम्भ1971 (भारत पाक युद्ध) से -तिलक
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण
कवि, लेखक, वरिष्ठ पत्रकार तथा 2001 से संपादक युगदर्पण साप्ताहिक,
2010 से नेट पर 30 विविध ब्लॉग 4 वर्षों में 75 से अधिक देशों, 11952 पाठकों में पहचाने जाते -
फे बु, के 9 समूह, 7 पेज, ट्वीटर, रीडिफ़ के अतिरिक्त 5 उपभक्ता चैनल का युगदर्पण मीडिया समूह- YDMS
पत्थर, मानव और कर्म फल
उत्तिष्ठत! जागृत !! प्रकाश की भीख नहीं मांग, अंदर स्फुटित कर -
पत्थर और मानव, भाग्य तो दोनों का एक समान निर्भर ही हैं,
तथा दोनों अपने -2 कर्म फल एक समान ही भोगते मिलते हैं।
पत्थर, जो कहने को एक कठोर महत्वहीन अस्तित्व ही तो है।
मानव अस्तित्व भी महत्वहीन बन जाता है, कर्मविहीन हो कर
दोनों की ही मुक्ति, शुभ अशुभ है, तभी उसके उद्धारक पर निर्भर
समयानुसार वही हर सांचे में ढल जाने की तत्परता भी रखते है,
जैसा जैसा आकार लिए बनते हैं, यथानुसार स्थान भी वे पाते हैं।
एक उदाहरण पत्थर को ही लो, जब ये राह में 'जड़' पड़ा होता है
यही सबको ठोकर देता भी, और स्वयं सबसे ठोकरें खाता भी है।
यही, निज जड़ता का त्याग कर, जिस दिन भी चेतन है बन जाता,
भले, जड़ता व निज का त्याग कर, किसी की नींवमें चुनाहै जाता,
तब वही नींव का पत्थर कहाता व जग में त्याग की प्रशंसा पाता
भाग्य जब महा शिल्पकार के हाथ पहुंचा दे तो वाह वाह हो जाये,
भाग्य शिल्पकार के हाथों भगवान की मूर्ति बनवा दे पूजा जाये।
क्यों, मानव होकर भी 'जड़वत' पड़ा राह में, यूँ ठोकरें खाता है ?
तू मानव है, तो बुद्धि से मानव होने का परिचय भी दे, कुछ सीख।
है यही धर्म, चेतन जगा ओ दिखा कर्म, न ले आरक्षण की भीख,
क्या, पत्थर से भी जड़ है रे? जो चेतन अपना है नहीं जगा रहा।
पत्थर, भी चेतन हो बदल गया, तूँ पत्थर सा जड़ बन पड़ा रहा।
उठ जाग, कर्म कर ले थोड़ा, विश्वास कर्म में रख, वो है खेवनहार
आरक्षण तो प्रतीक है, दुर्बल -अक्षम होने का, ये तेरे मन की हार।
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण
Friday, May 16, 2014
17, मई 2014 आज 19 वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन
17, मई 2014 आज 19 वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन
19 वीं पुण्यतिथि वैशाख कृ तृतीया शनिवार 17 मई 2014
माँ, जो गर्भ से मृत्यु तक, हर पल अपने बच्चों के हर दुःख सुख की साथी, जिसकी गोद हर पीड़ा का हरण करती है। माँ तो बस माँ होती है, बच्चों में उसकी जाँ होती है। बचपन ही नहीं वृद्धावस्था व् जीवन के अंत तक हर पल जब भी तुझे स्मरण करता हूँ भाव विहल हो जाता हूँ। माँ, तेरी याद बहुत आती है, .... अब मेरे दामाद सिद्धार्थ, बहु शालिमा व एक नन्हा नाती अद्विक भी हैं; पर माँ, तेरी याद बहुत आती है।। तिलक- संपादक युग दर्पण मीडिया समूह, 9911111611, 9910774607, 7531949051, 
Tuesday, April 1, 2014
नव संवत 2071, चैत्र प्रतिपदा
नव संवत 2071, चैत्र प्रतिपदा की शुभकामनाएं। आप सभी को सपरिवार मंगलमय हो।
अंग्रेजी का नव वर्ष भले हो मनाया,
तदनुसार 31 मार्च 2014, इस धरा के वराह कल्प की 1955885114वीं वर्षगांठ तथा इसी दिन सृष्टि का शुभारंभ हुआ. आज के दिन की प्रतिष्ठा ?
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, तब पायें - नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक
व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र, 2001
से पंजी सं RNI DelHin 11786/2001 (Join YDMS ;qx&niZ.k विशेष प्रस्तुति विविध विषयों के 28 ब्लाग,
5 चैनल व अन्य सूत्र।) की 60 सेअधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है।
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
http://dharmsanskrutidarpan.blogspot.in/2014/03/2071.html
http://jeevanshailydarpan.blogspot.in/2014/03/2071.html
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर
हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
हमें, यह मैकाले की नहीं, विश्वगुरु की शिक्षा चाहिए | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण
उमंग उत्साह चाहे हो जितना दिखाया;
विक्रमी संवत बढ़ चढ़ के मनाएं,
चैत्र के नवरात्रे जब जब आयें।
घर घर सजाएँ उमंग के दीपक जलाएं;
खुशियों से ब्रहमांड तक को महकाएं।
यह केवल एक कैलेंडर नहीं, प्रकृति से सम्बन्ध है;
1. भगवान राम का जन्म एवं कालांतर में राज्याभिषेक. 2. युधिस्ठिर संवत का आरंभ 3. विक्रमादित्य का दिग्विजय सहित विक्रमी संवत 2070 वर्ष पूर्व आरंभ 4. वासंतिक नवरात्र का शुभारंभ 5. शिवाजी महाराज की राज्याभिषेक. 6. राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के संस्थापक डॉ
केशव बलिराम हेडगेवर जी का जन्म 7. आर्य समाज की स्थापना भी वर्षप्रतिपदा को हुई। देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे गुडी पडवा, उगादी, दुर्गा पूजा आदि के रूप में मनाते है। ईश्वर हम सबको ऐसी इच्छा शक्ति प्रदान करे, जिससे हम अखंड माँ भारती को जगदम्बा का स्वरुप प्रदान करे।
केशव बलिराम हेडगेवर जी का जन्म 7. आर्य समाज की स्थापना भी वर्षप्रतिपदा को हुई। देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे गुडी पडवा, उगादी, दुर्गा पूजा आदि के रूप में मनाते है। ईश्वर हम सबको ऐसी इच्छा शक्ति प्रदान करे, जिससे हम अखंड माँ भारती को जगदम्बा का स्वरुप प्रदान करे।
धरती मां पर छाये वैश्विक ताप रुपी दानव को परास्त करे... और सनातन धर्म की जय हो।..
युगदर्पण परिवार की ओर से अखिल विश्व में फैले हिन्दू समाज सहित,चरअचर सभी के लिए गुडी पडवा, उगादी,
नव संवत 2071 , चैत्र प्रतिपदा की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।
जय भबानी, जय श्री राम, भारत माता की जय.
व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प- युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र, 2001
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विश्व कल्याणार्थ भारत को विश्व गुरु बनाओ !!! যুগ দর্পণ, યુગ દર્પણ ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, யுகதர்பண യുഗദര്പണ యుగదర్పణ ಯುಗದರ್ಪಣ, يگدرپ, युग दर्पण:, ;qx&niZ.k yugdarpan.
Media For Nation First and last. राष्ट्र प्रथम से अंतिम, आधारित मीडिया YDMS, तिलक -समूह संपादक
युग दर्पण मीडिया समूह Yug Darpan Media Samooh
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विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
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हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
हमें, यह मैकाले की नहीं, विश्वगुरु की शिक्षा चाहिए | आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण
Saturday, March 29, 2014
वाह ! AK-49 वाह !!
मीडिया ने हमें हीरो बनाया 49 दिन की सत्ता पाई, क्या खूब बेवकूफ बनाया है।
दिल्ली की कुर्सी छोटी थी बहुत, मेरी महत्वाकांक्षाओं के लिए, तभी ठुकराया है।
सफल हो न हो, मित्रों ने मेरी क़ुरबानी बता, बड़ी कुर्सी के लिए रास्ता बनाया है। -AK 49।।
जब नकारात्मक बिकाऊ मीडिया
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"दिल्ली -आआप की या पाप की" भेड़ की खाल में, ये भेड़िये।
"हम देंगे तीखा सत्य, किन्तु मीठा विष नहीं।" -तिलक सं
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