**"हे भारत की नारी"** Pl. Copy,Paste,Tag frnds
महिला दिवस मनाती नारी अपनी अस्मिता को पहचान,
पवित्र बंधन है, अधिकार ओ दायित्व का समन्वय व मेल।
नारी मुक्ति का डंका बजाने वाले यह गठबंधन क्या जानें,
उनके लिए तो हर इक नारी शमा व नर हैं केवल परवाने।
पुष्प का मान तभी तक है जब तक डाली के साथ रहे।
डाली से छितरे पुष्प तो केवल मसले कुचले ही जायेंगे।
जीवन का यह सिद्धांत क्यों हमें समझाया नहीं आता ?
जब तक दोनों पहिये न चले, वाहन कोई चल नहीं पाता।
-तिलक 9911111611 yugdarpan.com"
अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण

कवियों, लेखकों का शुभ्रमंच:-विश्व को नौ रस समझा कर, प्रत्येक में मूर्धन्य महाकवियों से समृद्ध भारत में दिनकर के बाद, भांड और भाट, पूछे और पूजे जाने लगे, तब और दिनकर कहाँ से पैदा होंगे? समुन्द्र से गहरा, वासनामुक्त हो-साहित्य.तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र https://t.me/ydmstm - तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार, संपादक युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑 09971065525, 9911111611, 9911145678.
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Saturday, March 9, 2013
**"हे भारत की नारी"**
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