
कवियों, लेखकों का शुभ्रमंच:-विश्व को नौ रस समझा कर, प्रत्येक में मूर्धन्य महाकवियों से समृद्ध भारत में दिनकर के बाद, भांड और भाट, पूछे और पूजे जाने लगे, तब और दिनकर कहाँ से पैदा होंगे? समुन्द्र से गहरा, वासनामुक्त हो-साहित्य.तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpanh पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र https://t.me/ydmstm - तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार, संपादक युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑 09971065525, 9911111611, 9911145678.
Saturday, November 10, 2012
Tuesday, November 6, 2012
युगदर्पण के 50 हजारी होने पर
युगदर्पण के 50 हजारी होने पर आप सभी को हार्दिक बधाई व धन्यवाद। युग दर्पण ब्लाग पर बने, हमारे ब्लाग को 49 देशों के 3640, तथा राष्ट्र दर्पण पर 33 देशों के 1693, आप लोगों ने 4 नव.11 प्रथम 1 1/2 वर्षों में 10 हज़ार बार खोला व हमें 10 हजारी बनाया था। अब 4 नव.12 तक केवल एक वर्ष में, 63 देशों के 6360, तथा 51 देशों के 4100+ आप लोगों ने हमें 50 हजारी कर दिया है। आप सभी केवल हार्दिक बधाई व धन्यवाद के पात्र नहीं, हमआपका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 ... yugdarpan.com
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है | इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण
Saturday, October 13, 2012
हम इतने नहीं महान हैं ?....
हम इतने नहीं महान हैं ?....
किसी कवि ने लिखा, आश्चर्य चकित रह गया ।
सहस्त्रों ऋषि मुनियों सा, इन्सान ये कह गया ?
अब तो मजहब कोई, ऐसा भी चलाया जाए ,सहस्त्रों ऋषि मुनियों सा, इन्सान ये कह गया ?
जिसमें इनसान को, इनसान बनाया जाए !!
इसे देखके मन ये बोला, कुछ ऐसा लिखा जाये ।
तम के गम को मिटा के निज उजियारा फैलाये ।
नकली आभूषण असली से बढ़के बिक जाते हैं ।
इसे देख के हम, नकली के लोभी बनते जाते हैं ।
असली हीरा खोने पर, कोई नकली नहीं बनवाता ।
धरती अम्बर एक किया तो खोज उसी को लाता ।
भारत का है सत्य खो गया, उसे खोज कर लाना ।
छद्म रचे से मूल है उत्तम, व भारतवंशी कहलाना ।
श्रेष्ठ था जो भी था अपना, अब रह गया है सपना ।
नालंदा तक्षशिला जला कर, मिटा जो था अपना ।
अब नकली को पढ़ना होता, नकली राह दिखाता ।
न असली खाने को ही है, नकली सब होता जाता ।
कोई देवी देवता नहीं हम , न ही कोई भगवान हैं ।
सत्य की राह पर चलते हुए , बस इक , इन्सान हैं ।
तम के गम को मिटा के निज उजियारा फैलाये ।
नकली आभूषण असली से बढ़के बिक जाते हैं ।
इसे देख के हम, नकली के लोभी बनते जाते हैं ।
असली हीरा खोने पर, कोई नकली नहीं बनवाता ।
धरती अम्बर एक किया तो खोज उसी को लाता ।
भारत का है सत्य खो गया, उसे खोज कर लाना ।
छद्म रचे से मूल है उत्तम, व भारतवंशी कहलाना ।
श्रेष्ठ था जो भी था अपना, अब रह गया है सपना ।
नालंदा तक्षशिला जला कर, मिटा जो था अपना ।
अब नकली को पढ़ना होता, नकली राह दिखाता ।
न असली खाने को ही है, नकली सब होता जाता ।
कोई देवी देवता नहीं हम , न ही कोई भगवान हैं ।
सत्य की राह पर चलते हुए , बस इक , इन्सान हैं ।
सीधे सादे सच्चे रह सकें, बस इतना ही तो ज्ञान है ।
धार्मिक हैं, किन्तु नया धर्म रचें ? न ऐसे महान हैं ।
हम इतने नहीं महान हैं ....
तिलक संपादक युग दर्पण मीडिया समूह 9911111611,"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||" युगदर्पण
Tuesday, September 4, 2012
"मेरा देश इंडिया"
"मेरा देश इंडिया"....- तिलक
कई दिन से सोचता था भारत का अमन चैन जाने कहाँ खो गया है!
वसुधैव कुतुम्कम का प्रणेता भाईचारा था इसे कौन खा गया है!
बटोर ज्ञान, लगाया ध्यान, तब जाना जब कर डाले सब अनुसन्धान!
जब से कथित आज़ादी के साथ भारत देश का बंटवारा हो गया है!
भारत को मिटा कर बना डाले एक हिंदुस्तान व दूजा पाकिस्तान!
पहले भारत नहीं रहने दिया अब न रहा हिंदुस्तान या पाकिस्तान!
पाकिस्तान को वहां की सरकार ने नापाक कर डाला!
यहाँ भी शर्मनिरपेक्षों ने स्वयं हिन्दुओं को मिटा डाला!
उनका वो देश अतंकिया है तो मेरा ये देश भी इंडिया है!
धर्मनिरपेक्षता के नाम, निज गौरव भूला यह इंडिया है!
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है !
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण
कई दिन से सोचता था भारत का अमन चैन जाने कहाँ खो गया है!
वसुधैव कुतुम्कम का प्रणेता भाईचारा था इसे कौन खा गया है!
बटोर ज्ञान, लगाया ध्यान, तब जाना जब कर डाले सब अनुसन्धान!
जब से कथित आज़ादी के साथ भारत देश का बंटवारा हो गया है!
भारत को मिटा कर बना डाले एक हिंदुस्तान व दूजा पाकिस्तान!
पहले भारत नहीं रहने दिया अब न रहा हिंदुस्तान या पाकिस्तान!
पाकिस्तान को वहां की सरकार ने नापाक कर डाला!
यहाँ भी शर्मनिरपेक्षों ने स्वयं हिन्दुओं को मिटा डाला!
उनका वो देश अतंकिया है तो मेरा ये देश भी इंडिया है!
धर्मनिरपेक्षता के नाम, निज गौरव भूला यह इंडिया है!
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है !
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण
जीवन जीने का अर्थ ...
जीवन जीने का अर्थ ...- तिलक
स्वांस लेना ही, कोई जीवन नहीं; यदि अर्थ जीने का, समझ आता नहीं।
जीवन है, एक तालाब; जब तक बाहरी विश्व से, परिचित नहीं है आप।
जीवन है, एक नदी; समय की धारा पहचान कर, तैरना जानते नहीं यदि।
जीवन है, एक धारा; यदि लक्ष्य से भटकना, किसी भी कारण हो, स्वीकारा।
जीवन एक, सागर है; जब ह्रदय आपका, वसुधैव कुटुम्बकम की गागर है।
जीवन तब, महासागर है; यदि लक्ष्य की सफलता के, बने आप पारंगत हैं।
जीवन उनका, सुंदर है; राष्ट्र हित जीने का साहस, जिनके मन अंतर में है।
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है !
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण
स्वांस लेना ही, कोई जीवन नहीं; यदि अर्थ जीने का, समझ आता नहीं।
जीवन है, एक तालाब; जब तक बाहरी विश्व से, परिचित नहीं है आप।
जीवन है, एक नदी; समय की धारा पहचान कर, तैरना जानते नहीं यदि।
जीवन है, एक धारा; यदि लक्ष्य से भटकना, किसी भी कारण हो, स्वीकारा।
जीवन एक, सागर है; जब ह्रदय आपका, वसुधैव कुटुम्बकम की गागर है।
जीवन तब, महासागर है; यदि लक्ष्य की सफलता के, बने आप पारंगत हैं।
जीवन उनका, सुंदर है; राष्ट्र हित जीने का साहस, जिनके मन अंतर में है।
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है !
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण
Wednesday, May 16, 2012
17, मई 2012 आज 17 वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धा सुमन
माँ, जो गर्भ से मृत्यु तक, हर पल अपने बच्चों के हर दुःख सुख की साथी, जिसकी गोद हर पीड़ा का हरण करती है। बचपन ही नहीं वृद्धावस्था व् जीवन के अंत तक हर पल जब भी तुझे स्मरण करता हूँ भाव विहल हो जाता हूँ। माँ, तेरी याद बहुत आती है, ....माँ, तेरी याद बहुत आती है।
माँ, इन 2 वर्षों में दामाद और बहु भी हो गए हैं शीघ्र ही अगली पीडी भी हो जाएगी। दामाद- सिद्धार्थ है, तथा बहू शालिमा है। तिलक- संपादक युग दर्पण मीडिया समूह, 9911111611, 9654675533."अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है !
इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण
Tuesday, May 8, 2012
वैचारिक क्रांति द्वारा व्यापक परिवर्तन का शंखनाद
वन्दे मातरम,
व्यावसायिक पत्रकारिता सौम्य सार्थक नहीं रही;
सूचनाएं मूल्यजनक बनी मूल्यपरक नहीं रहीं;
समाज, व्यवस्था, जीवन शैली स्वस्थ नहीं रहे;
कपटपूर्ण प्रदर्शन ही है, मन की पवित्रता नहीं रही;
सुधार समर्पित पत्रकारिता हमारा पवित्र मिशन है !..
मित्रों, युग दर्पण मीडिया समूह द्वारा विविध विषयों के 25 ब्लाग, आर्कुट, फेसबुक, व उन पर समुदाय व समूहों तथा ट्विटर के अतिरिक्त 4 यूसर चैनलों का अंतर ताने पर महाजाल ! आपको आमंत्रित करता है:- वैचारिक क्रांति द्वारा आओ हम सब मिलकर मा. जय प्रकाश नारायण की कल्पना का व्यापक परिवर्तन करते भारत को सशक्त,समर्थ व स्वावलंबी तथा संपन्न बनायें ! जय भारत.
-तिलक, संपादक युग दर्पण मिडिया समूह, ..
9911111611, 9654675533. website:- www. yugdarpan.co.cc
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण
"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है !
इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण
वन्दे मातरम,
व्यावसायिक पत्रकारिता सौम्य सार्थक नहीं रही;
सूचनाएं मूल्यजनक बनी मूल्यपरक नहीं रहीं;
समाज, व्यवस्था, जीवन शैली स्वस्थ नहीं रहे;
कपटपूर्ण प्रदर्शन ही है, मन की पवित्रता नहीं रही;
सुधार समर्पित पत्रकारिता हमारा पवित्र मिशन है !..
मित्रों, युग दर्पण मीडिया समूह द्वारा विविध विषयों के 25 ब्लाग, आर्कुट, फेसबुक, व उन पर समुदाय व समूहों तथा ट्विटर के अतिरिक्त 4 यूसर चैनलों का अंतर ताने पर महाजाल ! आपको आमंत्रित करता है:- वैचारिक क्रांति द्वारा आओ हम सब मिलकर मा. जय प्रकाश नारायण की कल्पना का व्यापक परिवर्तन करते भारत को सशक्त,समर्थ व स्वावलंबी तथा संपन्न बनायें ! जय भारत.
-तिलक, संपादक युग दर्पण मिडिया समूह, ..
9911111611, 9654675533. website:- www. yugdarpan.co.cc
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण
"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है !
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