Tuesday, May 4, 2010

नेता

चुनाव से भाग्य बदलने की सोच
गरीब आदमी की बेबसी और मूर्खता है

चुनाव महज गुंडा चुनने की कवायद है
जो तय करता है गुंडे का कद और अधिकार
बेइज्जत नेता भी माननीय लगवाता है
नाम के सामने चुनाव जीतने के बाद

चुन कर आने पर उसे हक़ है
हमारी बहन बेटियों की इज्ज़त लूटने
गरीबों का हिस्सा छीनने का
सांड बनकर चढने का निर्वलाओं पर

ये आम आदमी को देते हैं
झूठी तसल्ली के लिए RTI का हक़
और इसकी ही आड़ में करते है
हमारी ही कंवारी इच्छाओं का शीलभंग

केदारनाथ "कादर"




"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है !इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण

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