Wednesday, April 28, 2010

आम आदमी

एक आम आदमी की जिद है
वो परेशान है सरकारी चाल से
वह जानना चाहता है -
सरकार आदमी के जीने के लिए,
क्या कोई अनुदान देती है ?
वह तो जानता है मरने के लिए,
सरकार आर्थिक मदद देती है I

आम आदमी का प्रश्न है -
क्या सरकार का काम मौत का संरक्षण है ?
या खुद आम आदमियों को मारना I
हाँ, नीतियाँ कुछ ऐसी ही हैं सरकार की,
वे मारना चाहते हैं आम आदमियों को
आसाम में, बंगाल में, कश्मीर में,
बिहार, आँध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ में-
ताकि देश में शांति हो शमशान जैसी I

इसलिए निहत्था आम आदमी
ढूंढ़ रहा है सरकार को ताकि-
उसके बन्दूक वाले आम आदमी
उसे मार दें एक सरकारी गोली
जिससे इलाके में शांति हो
और उसके पेट में चलता युद्ध
बंद हो, जो है भूख के खिलाफ
जो पल रही रंडी बन के
नेताओं के बिस्तरों पर I

केदारनाथ "कादर"
"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है !इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण

No comments: