Thursday, March 18, 2010

गणगौर पूजन गीत

एक दो तीन चार,पांच छ: सात आठ
नौ दस ग्यारा बारा तेरा चौदा
पंदरा सोळा,ईसर बावजी भोळा
गौर पूजूं करमेती य ईसर पूजूं पारबती
पारबती का आला नीला
गौर का सोना का टीला
टील रे टपला दे राणी
बरत करे गौरा दे राणी
करतां करतां आसग्यो मासग्यो
गौले घाटे लाडू लाद्यो
लाडू ले बीरा ने दीदो
बीरो ले मने साड़ी दी दी
साड़ी ने सिघाड़ो,बाड़ी में बजौरो
तण मण सोरो
सात कचोरो
राणी पूजे राज ने,म्हे पूजां सुहाग ने
राणी को राज घटतो जाय
म्हाकों सुहाग बढ़तो जाय
कीड़ी कीड़ी जात है,जात पड्यां गुजरात है
गुजरात्यां को पाणी आयो
आक फूल कळी की डोडी
एक दो तीन चार,पांच छ: सात आठ
नौ दस ग्यारा बारा तेरा चौदा
पंदरा सोळा,
ईसर बावजी भोळा...............
स्त्रोत-राजस्थानी लोकाचार गीत पुस्तक
लेखिका श्रीमती चन्द्रकान्ता व्यास
सम्पर्क सूत्र
01472-241532

लोकगीत संकलन:
माणिक
आकाशवाणी ,स्पिक मैके और अध्यापन से सीधा जुड़ाव साथ ही कई गैर सरकारी मंचों से अनौपचारिक जुड़ाव

"अंधेरों के जंगल में,दिया मैंने जलाया है !
इक दिया,तुम भी जलादो;अँधेरे मिट ही जायेंगे !!" युगदर्पण

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