मन का बसंत
बसंत सब का तो नहीं हो सकता समय के साथ
लेकिन समय अगर अच्छा हो तो बसंत ही होता है
हाँ ये बात और है कि ऐसा कभी कभी होता है
इसलिये इश्वर ने भी एक ही बसंत बनाया है
मगर वह प्रभु समझ से परे की चीज़ है
इसलिये मन का बसंत हमेशा के लिए बनाया है
जो किसी बादल के पानी का मोहताज नहीं है
कभी आंसुओं से हरा होता है कभी आंसुओं में डूबता है
बसंत मन का कर सकते हो हमेशा के लिये
अगर दूसरों के आंसू पी सकते हो "कादर" हँसते हुए
केदार
No comments:
Post a Comment